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चारों तरफ है यह कैसा नशा, झूठे वादों में खोया है ज

चारों तरफ है यह कैसा नशा,
झूठे वादों में खोया है जहां,
पिन्हा है हर कोई ख्वाबों में,
असलियत-ए-जिंदगी कोई जाने कहां,
जाली चेहरों के पीछे जाने क्यों,
चाहते जजीरा बनाते हैं लोग,
पिन्हा है हर कोई ख्वाबों में,
असलियत-ए-जिंदगी कोई जाने कहां,
दस्तक तो होती है दिलों में उनके,
ना-मुकम्मल तस्कीन चाहते हैं लोग,
पिन्हा है हर कोई ख्वाबों में,
असलियत-ए-जिंदगी कोई जाने कहां,
अश्कों से यूं मोहब्बत-ए-गर्द,
ना जाने कैसे मिटाते हैं लोग,
पिन्हा है हर कोई ख्वाबों में,
असलियत-ए-जिंदगी कोई जाने कहां।।

©Shobhit Bajpai #khavab #zazira

#alone
चारों तरफ है यह कैसा नशा,
झूठे वादों में खोया है जहां,
पिन्हा है हर कोई ख्वाबों में,
असलियत-ए-जिंदगी कोई जाने कहां,
जाली चेहरों के पीछे जाने क्यों,
चाहते जजीरा बनाते हैं लोग,
पिन्हा है हर कोई ख्वाबों में,
असलियत-ए-जिंदगी कोई जाने कहां,
दस्तक तो होती है दिलों में उनके,
ना-मुकम्मल तस्कीन चाहते हैं लोग,
पिन्हा है हर कोई ख्वाबों में,
असलियत-ए-जिंदगी कोई जाने कहां,
अश्कों से यूं मोहब्बत-ए-गर्द,
ना जाने कैसे मिटाते हैं लोग,
पिन्हा है हर कोई ख्वाबों में,
असलियत-ए-जिंदगी कोई जाने कहां।।

©Shobhit Bajpai #khavab #zazira

#alone