वाह शक्ति क्या जो सोच में रक्खे सदा संकोच में निज हित जुटाने के लिए ऐंठे रहे हर रोज में अरे शक्ति है तो छोड़ दो विश्वास है अरे क्या मुझे सीखा ये महादेव से जो बस गए पर्वत में जा और छोड़ दी सारी धरा ले जाओ इसको लो जियो ना कालकूटक तुम पियो कर दान सबकुछ बन गया बाबा वो भोला नाम का ©दीपेश #सावन_का_महीना