शून्य हुआ है फिर से जनजीवन सारा हुआ हरा जंगल हुआ साफ नदियां का पानी हुआ नीला अम्बर सारा भाग दौड़ कर करते थे जो हम अपना जीवन यापन फिर भी ना मिलता सुकून मिलता पानी खारा शून्य हुआ है फिर से जनजीवन सारा हमको मिल गया हमारा बचपन प्यारा बॉस की डांट से मिला है कुछ दिन छुटकारा घर में फिर से खेल रहा है मम्मी पापा का लाड दुलारा शून्य हुआ है फिर से जनजीवन सारा गन्दा था जो कल तक नदियां का पानी फिर से हुआ है उज्जवल नीर नदियां का किनारा शून्य हुआ है फिर से जनजीवन सारा Thanks to lockdown #Wish#lockdownstories#lockdownpoetry#poetryonline#talkonline#storyonline#bachpan#nojotoapp#nature#stayhomestaysafe