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मुबारक हो जो चमन-ए-सैयद में रहते हो| खुशनसीबी है ज

मुबारक हो जो चमन-ए-सैयद में रहते हो|
खुशनसीबी है जो अलीग कहलाते हो||
            
                      बातें होती है शब-व-रोज हक व बातिल की|
                         सच्चाई है कि दूसरे अलीग का हक दबाते हो||

चाय पर गुफ्तगू में फिक्र-ए-कौम व मिल्लत
मौका मिलने पर हराम भी खाते हो||

                                शिकवा है कि तालिब-ए-इल्म करते नहीं अब सलाम
                                बनकर warden,provost ज़ालिमों का साथ देते हो||

फिरका व कौम परस्ती के खिलाफ होती है तकरीरें
वतन परस्ती के नाम पर लङते रहते हो|| 

                                 नजाने क्यों खुद को समझते हैं रहनुमा-ए-कौम
                                  तमाम मोजोअ पर बहस,अपना दामन नही झाकते हो||

Culture और Tradition पर Lecture खुब देते हो
मगर खुद senior होकर Lower- चप्पल में नजर आते हो||

©poetry-Ghazal-alig AAJ ke ALIG
मुबारक हो जो चमन-ए-सैयद में रहते हो|
खुशनसीबी है जो अलीग कहलाते हो||
            
                      बातें होती है शब-व-रोज हक व बातिल की|
                         सच्चाई है कि दूसरे अलीग का हक दबाते हो||

चाय पर गुफ्तगू में फिक्र-ए-कौम व मिल्लत
मौका मिलने पर हराम भी खाते हो||

                                शिकवा है कि तालिब-ए-इल्म करते नहीं अब सलाम
                                बनकर warden,provost ज़ालिमों का साथ देते हो||

फिरका व कौम परस्ती के खिलाफ होती है तकरीरें
वतन परस्ती के नाम पर लङते रहते हो|| 

                                 नजाने क्यों खुद को समझते हैं रहनुमा-ए-कौम
                                  तमाम मोजोअ पर बहस,अपना दामन नही झाकते हो||

Culture और Tradition पर Lecture खुब देते हो
मगर खुद senior होकर Lower- चप्पल में नजर आते हो||

©poetry-Ghazal-alig AAJ ke ALIG

AAJ ke ALIG #Shayari