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इस शहर का अपना सा आलम है महक ए गजल लिपटी है जिसकी

इस शहर का अपना सा आलम है 
महक ए गजल लिपटी है जिसकी फिजाओं में

 चलो नापते हैं आज मेरे शहर की गलियां 

खुद में घोलते हैं
 इसका वह गुलाबी रंग 

मीठे गेवर नमकीन जहां की पहचान है 

संस्कृति और परंपरा जहां की शान है 

रंगबाज़ों का एक शहर गुलाबी  परकोटे जिसकी जान है 


गोविंद की मंगला आरती लक्ष्मी नारायण की भक्ति मोती डूंगरी का भोग आमेर में शिला देवी की मूरत आध्यात्मिकता और पवित्रता  बसती है जहां पर

 नाहरगढ़ जिसका मुकुट है हवामहल दिल है जिसका जल में बसते हैं महल जिसके अल्बर्ट हॉल खूबसूरती है जिसकी 

भागता दौड़ता सा शहर है सादगी ठहरती है जिसकी  चौपडौ में 


यह गुलाबी शहर है  मेरा इस शहर का अपना सा आलम है महक ए गजल लिपटी है जिसकी फिजाओं में

 चलो नापते हैं आज मेरे शहर की गलियां 

खुद में घोलते हैं
 इसका वह गुलाबी रंग 

मीठे गेवर नमकीन जहां की पहचान है
इस शहर का अपना सा आलम है 
महक ए गजल लिपटी है जिसकी फिजाओं में

 चलो नापते हैं आज मेरे शहर की गलियां 

खुद में घोलते हैं
 इसका वह गुलाबी रंग 

मीठे गेवर नमकीन जहां की पहचान है 

संस्कृति और परंपरा जहां की शान है 

रंगबाज़ों का एक शहर गुलाबी  परकोटे जिसकी जान है 


गोविंद की मंगला आरती लक्ष्मी नारायण की भक्ति मोती डूंगरी का भोग आमेर में शिला देवी की मूरत आध्यात्मिकता और पवित्रता  बसती है जहां पर

 नाहरगढ़ जिसका मुकुट है हवामहल दिल है जिसका जल में बसते हैं महल जिसके अल्बर्ट हॉल खूबसूरती है जिसकी 

भागता दौड़ता सा शहर है सादगी ठहरती है जिसकी  चौपडौ में 


यह गुलाबी शहर है  मेरा इस शहर का अपना सा आलम है महक ए गजल लिपटी है जिसकी फिजाओं में

 चलो नापते हैं आज मेरे शहर की गलियां 

खुद में घोलते हैं
 इसका वह गुलाबी रंग 

मीठे गेवर नमकीन जहां की पहचान है