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बेरोजगार हैं साहब, अभी, समय हमारे खिलाफ़ है, इंसान

बेरोजगार हैं साहब,
अभी, समय हमारे खिलाफ़ है,
इंसान तो इंसान,
गली के कुत्ते भी ताने मारने लगे हैं,
बेरोज़गार है ना साहब,
अब तो हमे परायों से कम,
अपनों से ज्यादा डर लगने लगा है।
बेरोजगार हैं साहब
बेरोजगारी का आलम ऐसा कि
अब खुली हवा में साँस लेने से भी डर लगने लगा है,
कहीं कोई इसकी कीमत ना माँग ले।
बेरोजगार हैं साहब 
गिली ज़मीन पर फूँक फूँक कर
पैर रखना पड़ रहा है
फ़िर भी धूल उड़ रहे है, क्योंकि
हम बेरोजगार हैं साहब।
बेरोजगारी ऐसे काटे जा रहीं हैं कि
हम पल पल मर रहे, फिर भी
उम्मीद की एक लौ जल रहीं है
वो भी डरा रहीं है, क्योंकि
हम बेरोजगार है साहब।।

©BIHARI BABU 
  #berojgar_life