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खाने को रोटी का एक टुकडा नही था, पहनने को स्वच्छ क

खाने को रोटी का एक टुकडा नही था, पहनने को स्वच्छ कपड़े नही थे, न था जेब एक ढेला!










फिर भी मुस्कुराता, जोर जोर से हँसता- हसाता क्योंकि इसी
 का नाम ही तो है जिंदगी

©Shalvi Singh
  #Rajkapoor #Zid #iwrit_ewhatyouthink