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साम्राज्य हिल जाये शहंशाहों का, कोई सिंहासन हिलाने

साम्राज्य हिल जाये शहंशाहों का, कोई सिंहासन हिलाने की चेष्टा तो करे, 
दहाड़ना बंद हो जाये बब्बर शेरों का, कोई शेरनी को सताने की चेष्टा तो करे, 
उछालकर वस्त्रों को मल्लिकाएँ जो फुदकती हैं महफ़िलों में, 
वो सारा हुस्न परोसकर रख दें सभा के सम्मुख, कोई दौलत लुटाने की पेशकश तो करे! 
..... Himanshu Pandey

©Kavi Himanshu Pandey उछालकर वस्त्रों को मल्लिकाएँ....
साम्राज्य हिल जाये शहंशाहों का, कोई सिंहासन हिलाने की चेष्टा तो करे, 
दहाड़ना बंद हो जाये बब्बर शेरों का, कोई शेरनी को सताने की चेष्टा तो करे, 
उछालकर वस्त्रों को मल्लिकाएँ जो फुदकती हैं महफ़िलों में, 
वो सारा हुस्न परोसकर रख दें सभा के सम्मुख, कोई दौलत लुटाने की पेशकश तो करे! 
..... Himanshu Pandey

©Kavi Himanshu Pandey उछालकर वस्त्रों को मल्लिकाएँ....

उछालकर वस्त्रों को मल्लिकाएँ.... #Shayari