जो मन्ज़िल तूने चुनी थी भगत वो अब तक मिली तो नही आज भी तेरे देश मे उन्माद है किसान यूँही मरता यँहा और मजदूर रोता अब भी यँहा भूक तो अब भी है उस भूखे को कैसे कह दूं तेरी मंजिल है मिलने को कल जो गैरो के गुलाम थे आज अपनो के गुलाम है ✍️ हर्ष लाहोटी #bhagt #shahiddiwas