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शांत चित बैठा एक बालक चारों ओर से काम क्रोध मद लो

शांत चित बैठा एक बालक चारों ओर से
 काम क्रोध मद लोभ जैसी 
चल रही थी उसके इर्द-गिर्द आंधी।

मुख पर उनके अविरल तेज था हवाओं में मंद मंद
 सुगंध इससे भी बढ़कर 
सर पर चढ़कर बोल रही थी उनकी समाधि।।

©Abhishek tripathi#chgr@c #"भगवान वेदव्यास जी"...
शांत चित बैठा एक बालक चारों ओर से
 काम क्रोध मद लोभ जैसी 
चल रही थी उसके इर्द-गिर्द आंधी।

मुख पर उनके अविरल तेज था हवाओं में मंद मंद
 सुगंध इससे भी बढ़कर 
सर पर चढ़कर बोल रही थी उनकी समाधि।।

©Abhishek tripathi#chgr@c #"भगवान वेदव्यास जी"...