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सुलगते अरमाँ से शमा जला के चलता हूँ, मैं अपनी राह

सुलगते अरमाँ से शमा जला के चलता हूँ,
मैं अपनी राह को आसाँ बना के चलता हूँ।
 
कोई गर तोड़ जाए दिल तो गम नहीं करता,
जोड़ फिर लेता हूँ टुकड़े उठा के चलता हूँ।
 
दिल के जख्मों से जरा खून अब नहीं बहता,
कड़वी बातों को घावों पे लगा के चलता हूँ।
 
मन को करता नहीं भारी जहाँ की बातों से,
बोझ रखता नहीं सब कुछ गवाँ के चलता हूँ।

खुद को खुश करने कुछ आदतें सी डाली हैं,
दर्द सह लेता हूँ गम को दबा के चलता हूँ। #सुलगते अरमाँ
सुलगते अरमाँ से शमा जला के चलता हूँ,
मैं अपनी राह को आसाँ बना के चलता हूँ।
 
कोई गर तोड़ जाए दिल तो गम नहीं करता,
जोड़ फिर लेता हूँ टुकड़े उठा के चलता हूँ।
 
दिल के जख्मों से जरा खून अब नहीं बहता,
कड़वी बातों को घावों पे लगा के चलता हूँ।
 
मन को करता नहीं भारी जहाँ की बातों से,
बोझ रखता नहीं सब कुछ गवाँ के चलता हूँ।

खुद को खुश करने कुछ आदतें सी डाली हैं,
दर्द सह लेता हूँ गम को दबा के चलता हूँ। #सुलगते अरमाँ
jasrana4801

JASRANA

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