हे विधाता.. संयोग तु जिस दिन अवतरित हुआ था.., मुझे भी जन्म मेरी जननी ने उस दिन ही किया था..! संयोग तुने जिस वक्त इस धरा पर चरण स्पर्श किया था, मैं उस वक्त से यही कोई 45 मिनट पहले आ गया था..! मेरे जनकों को लगा तु साक्षात् उनकी झोली में आ गया, क्योंकि उनकी पहली संतान जो मैं बना था..........! माँ यशोदा और वासुदेव ने जैसे तुझे पलकों पर बिठाया था, मेरे माता-पिता ठीक उसी प्रकार मेरे लिए पालना सजाया था! संयोग वश जब तेरी माँ ने तुझे "किशन कन्हैया" बुलाया था, मेरे जनकों ने भी मेरा नामाकरण "किशन कर्ण" करवाया था..! पर कैसे समझाता मैं उन्हें उस पल, की तू सारे जग में फैला नीला आसमान था..! सच तो ये है कि..., तेरी पहचान मुझसे नहीं, मेरी पहचान तुझसे है..!!! #श्रीकृष्ण #मेरे जनक #मेरी पहचान #मेरा जन्मदिवस