कोई भूखा सोए..कोई बेबस रोए किसान-मज़दूर सब हो गये लाचार इंसानियत और उम्मीदें रोज़ लगाते फाँसी ज़मीर और ईमान बिकते बीच बाज़ार गर्व है अगर इस दौर पर.. तो शर्म है ऐसी सोच पर सुप्रभात। जिसको जीवन की क्षणभंगुरता का ज्ञान हुआ, उसने गर्व करना छोड़ दिया। #गर्वकिसबातका #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi