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ऐसी बातें बचपन से ही एक लड़की के दिमाग में बैठा दी जाती है और लड़के के दिमाग में भी छोटी सी उम्र में यह बात घर कर जाती है कि"दीदी या बहन) यानी (लड़की) घर की दुसरी श्रेणी में आती है।
ये पढ़े-लिखे समाज में भी प्रायः देखने को मिल जाती है किन्तु कोई इसे स्वीकार नहीं करता और कहते हैं हम तो लड़की लड़के में कोई अंतर नहीं करते, और यही वजह है कि हमें समाज में बेटियों के लिए पढ़ाई-लिखाई,स्वास्थ और नौकरी में बराबर का अधिकार मिले, इसके लिए विश्व स्तर पर की नियम और कानून बनाने है, तथा हर देश में कोई सरकारी और निजी संस्थाएं इस दिशा में कार्यरत हैं।
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