मैं एक दौर से तआकुब हूँ तेरा यार आ अब तो मुझसे तआरूफ कर, मैं वो जिसने कभी किसी से कभी एक मुलाकात तक की बात ना की थी वो तुझसे एक नशिस्त के लिए ना जाने कब से तेरा मुन्तजिर है, अब तो एक बार ख्वाब-कदे से बाहर पैर रख मेरे लिए, आ एक बार मिलकर मुझे वजह-ए-नशात दे कि फिर से मेरे बदन में इश्क का सैलाब तुलूअ हो, तुझसे तआरूफ की सकत ही बाकी है मुझ में बाकी तो मेरे बदन के एक हिस्से में रात हो गई है, जितने भी खत मुझे मौसूल हुए अब तक उनमें से बस एक तेरा ही खत मैंने दिल से खोला था शहजादी, तेरे साथ बैठ कर दो कूजों की चुस्की लेते हुए तेरी ही शिकायत मुझे तुझसे करनी है, इश्क में तो मुसावात का सवाल ही नहीं फिर किस इक्तिदार से तूने किसी और को मेरी नशिस्त मखसूस करनी है, ये जान कर भी के तू मुझे जान से भी ज्यादा अजीज है क्यूँ तेरे हर्फ अब मेरी तरफ नहीं आते, आ मुझसे तआरूफ कर मैं बतला दूंगा के इस निस्बत में मैं तेरा क्या लगूंगा और इस रिश्ते की शुरूआत फिर से कैसे करनी है...!!! ©Virat Tomar #मुसूल 💔 #मौसूल #SunSet