वो नहीं टूटेंगी क्योंकि टूटती तो सूखी डालियाँ हैं... वो तो बेहद नर्म हैं- झुक जाएँगी जब भी खींचोगे जोर से झुकी ही रहेंगी, तुम्हारे सब्र तक... टूटेंगी नहीं। लेकिन जरा ढील हुई उठ जाएँगी ऊपर, बहुत ऊपर! मुस्कुराते हुए वो हरी-हरी डालियाँ- लहराएँगी, झूमेंगी गाएँगी गीत प्रकृति के साथ रचेंगी सृष्टि!! #इंदु सिंह #वो_नहीं_टूटेंगी #इंदु_सिंह