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वो नहीं टूटेंगी क्योंकि टूटती तो सूखी डालियाँ हैं

वो नहीं टूटेंगी
क्योंकि 
टूटती तो सूखी डालियाँ हैं...

वो तो बेहद नर्म हैं-
झुक जाएँगी
जब भी 
खींचोगे जोर से
झुकी ही रहेंगी, तुम्हारे सब्र तक...
टूटेंगी नहीं।
लेकिन
जरा ढील हुई
उठ जाएँगी ऊपर, बहुत ऊपर!

मुस्कुराते हुए
वो हरी-हरी डालियाँ-
लहराएँगी, झूमेंगी
गाएँगी गीत
प्रकृति के साथ
रचेंगी सृष्टि!!

#इंदु सिंह #वो_नहीं_टूटेंगी #इंदु_सिंह
वो नहीं टूटेंगी
क्योंकि 
टूटती तो सूखी डालियाँ हैं...

वो तो बेहद नर्म हैं-
झुक जाएँगी
जब भी 
खींचोगे जोर से
झुकी ही रहेंगी, तुम्हारे सब्र तक...
टूटेंगी नहीं।
लेकिन
जरा ढील हुई
उठ जाएँगी ऊपर, बहुत ऊपर!

मुस्कुराते हुए
वो हरी-हरी डालियाँ-
लहराएँगी, झूमेंगी
गाएँगी गीत
प्रकृति के साथ
रचेंगी सृष्टि!!

#इंदु सिंह #वो_नहीं_टूटेंगी #इंदु_सिंह