थामकर समय की उंगली, गुज़र चले हैं जो लम्हें, समय के कदमों तले, कितने ही निशान दफ़न हैं....! गढ़ी गई जो कहानियाँ, समय की कलम से, समय के गर्भ में वो सारी दास्तान दफ़न हैं...! गिने गए हैं ज़माने में, समय के तीर सब ज़ालिम, दिखे न वार किसी को, जाने कहां कमान दफ़न हैं...! इंसान क्या टिका है, इस समय के आगे, इस समय की जंग में, तो कितने इंसान दफ़न हैं...!! समय की धड़कनों में सुर है... विरह और मिलन का..! समय के गर्त में, कई घड़ियां दफ़न हैं!! समय के चौबारे