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रूह देखी है क़भी रूह को महसुस किया है। सर्द हवा मे

रूह देखी है क़भी
रूह को महसुस किया है।

सर्द हवा में काँपते वो नँगे ज़िस्म,
सड़क किनारें अधमरे भूखे शरीर।

रूह से बिछड़कर तड़पती मछलियाँ,
सरहद पर वो बिखरते रिश्ते।

रूह देखी है क़भी
रूह को महसुस किया है।

कोने से सटे आँसुओ में किसी के यादो के धब्बे,
साँस के हर क़तरे से आती सिसकियों की आवाज़े।

धुप में सर से टपकती किसी की मज़बूरी,
बचपन से खेलतीं किसी की मज़बूरी।

रूह देखी है क़भी
रूह को महसुस किया है।

                          -वतन रूह
रूह देखी है क़भी
रूह को महसुस किया है।

सर्द हवा में काँपते वो नँगे ज़िस्म,
सड़क किनारें अधमरे भूखे शरीर।

रूह से बिछड़कर तड़पती मछलियाँ,
सरहद पर वो बिखरते रिश्ते।

रूह देखी है क़भी
रूह को महसुस किया है।

कोने से सटे आँसुओ में किसी के यादो के धब्बे,
साँस के हर क़तरे से आती सिसकियों की आवाज़े।

धुप में सर से टपकती किसी की मज़बूरी,
बचपन से खेलतीं किसी की मज़बूरी।

रूह देखी है क़भी
रूह को महसुस किया है।

                          -वतन रूह
vatanjangid1179

Vatan Jangid

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रूह