गमों का नहीं ... ज़िंदगी में भी मेरी, और कोई फसाना था!! ज़िंदगी का ज़िन्दगी से मेरी, ज़िंदगी भर का रूठ जाना था!! के अंदाज़ ज़िंदगी का मेरी ... नहीं यूँ ही कोई शायराना था!! लुफ्त जिन्दगी का जो अपनी ... मुझको अब, उठाना था!! कहना था बस कह दिया ... ~~~ स्वरचित ~~~ ज़िन्दगी का रूठ जाना