जिगर का टुकड़ा तुझे क्या पता की मेरे जिगर का टुकड़ा है तू जिस चाँद को देख कर हीं सब दिवाने हो जाते हैं वो चाँद का मुखड़ा है तू बता नहीं सकता तू क्या है हमारा बस! इतना समझ ले की मेरे रग-रग में बिखरा है तू जिगर का टुकड़ा........