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गजल बेवफाई से बखूबी बावस्ता थे वो लोग प्यार के

गजल



बेवफाई से बखूबी बावस्ता थे वो लोग
प्यार के मारे थे सजायाफ्ता थे वो लोग

कभी कभी मैं सोचता हूँ वो क्या थे मेरे
हमदर्द थे मेरे या हमरास्ता थे वो लोग

मेरी मुहब्बत मेरी चाहत मेरा संसार थे
विश्वास थे मेरा,मेरी आस्था थे वो लोग

जो रिश्ते जुदा करके दूर चले गये कहीं
मेरे रिश्तों मे ही थे मेरे राब्ता थे वो लोग

एक पूरी दुनियां थी उनमें बसी "आलम"
साहिल थे मंजिल थे रास्ता थे वो लोग
मारूफ आलम सजायाफ्ता लोग /गजल
गजल



बेवफाई से बखूबी बावस्ता थे वो लोग
प्यार के मारे थे सजायाफ्ता थे वो लोग

कभी कभी मैं सोचता हूँ वो क्या थे मेरे
हमदर्द थे मेरे या हमरास्ता थे वो लोग

मेरी मुहब्बत मेरी चाहत मेरा संसार थे
विश्वास थे मेरा,मेरी आस्था थे वो लोग

जो रिश्ते जुदा करके दूर चले गये कहीं
मेरे रिश्तों मे ही थे मेरे राब्ता थे वो लोग

एक पूरी दुनियां थी उनमें बसी "आलम"
साहिल थे मंजिल थे रास्ता थे वो लोग
मारूफ आलम सजायाफ्ता लोग /गजल
maroofhasan2421

Maroof alam

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सजायाफ्ता लोग /गजल