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इस कद़र कभी कोई, अपनों से‌‌ नाराज़ होता है। इस कद

इस कद़र कभी कोई, 
अपनों से‌‌ नाराज़ होता है।
इस कद़र अपनी जिंदगी से,
कभी कोई नाराज़ होता है।
ये जिंदगी भी हमेशा अपने, 
वसूलों पर चल नहीं सकती।
कहीं काटें और कहीं फुल,
रास्ते में  चलते हुए मिलता है।
ये  नसीबों में लिखा होता है,
किसी को सारे जहान की, 
लवरेज खुशियां मिलती है।
वरना इस जहान में कुछ ऐसे हैं,
जिन्हें ग़म  सौगात मिलती है।
इस कद़र कभी कोई, 
अपनों से‌‌ नाराज़ होता है।
इस कद़र अपनी जिंदगी से,
कभी कोई नाराज़ होता है।
                                     -राजीव

©Rajiv
  इस कद़र
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Rajiv

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इस कद़र #कविता

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