नेताजी का खत आया नेताजी ने हमें बुलाया होने को है उनका अभिनंदन चाहते हैं मैं गाउं वंदन हो गया मुझे असमंजस माया देखे या कवि का अंतस चारण बन अभिनंदन गाउं धन देखूं या काव्य कमाउं देखा जब अंटी की उधड़न फुर्र हुई सारी उधेड़बुन स्वीकार किया उनका आमंत्रण पहुंच गए गाने अभिनंदन जब होगा घर में समुचित धन कर लेंगे तब काव्य संवर्धन फिर जीता माया का बंधन। #जयन्ती #humourquotes #poetslife