देश में इंसानों को आपस में बांट देते हैं। धर्म,पंथ ,जाति, संप्रदाय में छांट देते हैं। सत्ता की कुर्सी को पाने के लिए ये नेता, भूख, गरीबी को मजहब में बांट देते हैं। बाहुबलियों ने राजनीति में डाला डेरा हैं। खून से सने चेहरे पर लगा नया चेहरा हैं। बदल लेते हैं ये दल, मतलब से दोस्त, पक्ष विपक्ष की लड़ाई में घाटा तेरा हैं। जुर्म नहीं रोकना इन्हे,ये बस निंदा करते हैं। राजनीति के लिए ,मुर्दों को ज़िंदा करते हैं। छोड़ कर देश के जरूरी मुद्दे ये रहनुमा, फ़िज़ूल में लड़कर हमें ये शर्मिंदा करते हैं। झूठे, फरेबी ,मक्कारी से भरे इनके नारे हैं। मीठी सिर्फ जुबान इनकी,अंदर से खारे हैं। अंधों में से काना चुनना तो मजबूरी हैं यारों, देश के नेता , भ्रष्ट और बेईमान तो सारे हैं। कम से पेट नहीं भरा,ज्यादा रोट के भूखे हैं। मुफ्तखोरी से है लबरेज ,ये नोट के भूखे हैं। कर देते हैं वसूल कुर्बान, ये कुर्सी के खातिर, लालच हैं सत्ता को इनको,ये वोट के भूखे हैं। राजनीति में सिर्फ "राज" बचा,"नीति" नहीं हैं। देश को लूटना ,अब शासन में कुरीति नहीं हैं। बेच डाले ये मुल्क को चंद सिक्को के खातिर, ज़मीर को ज़िंदा रख, सियासत जीती नहीं है। -Keshav देश के नेता 🤐🤐🤐 ... #नेता #भारत #देश #राजनीति