आओ मिलकर इस होली हम सब एक प्रण खाए जाने अनजाने में न किसी को ठेस पहुंचाए गुज़ियों की मिठास की तरह रिश्तों में भी मिठास लाए बड़े हो या फिर छोटे सबको हंसकर गले लगाए रंगों के इस त्यौहार में बैर,घृणा का त्याग कर सिर्फ खुशियां ही खुशियां फैलाए जात, मज़हब के अंतर को भूलाकर आओ हम सब होली मनाए ©Bhupendra Rawat आओ मिलकर इस होली हम सब एक प्रण खाए जाने अनजाने में न किसी को ठेस पहुंचाए गुज़ियों की मिठास की तरह रिश्तों में भी मिठास लाए बड़े हो या फिर छोटे सबको हंसकर गले लगाए