16 निपुण अभिनय और यथार्थ में तदपि होता भेद, दुस्कर छिपाना मुखमंडल से,यथार्थ में मर्मभेद। कटिबद्ध वासवदत्ता की अग्निपरीक्षा थी निर्बाध, तपरत थी तपस्विनी भाँति ,भावि लक्ष्य को साध। झेंप या बनावटी बातों से छिपाती अंदरुनी कसक, परंतु नाम सुनते ही प्राणप्रिये का जाती अचक। 🌼 🌹🌼🌹🌼🌹 #स्वप्नवासवदत्ता #अनुराग_कच्ची_सड़क