कोई मुझे भी सिखा दो, नेकी से मुकर जाना । कोई मुझे भी सिखा दो, बेइंतहा कहर ढाना । अब और नही होता, वादों का निभाना । अब और नही होता इस दुनिया से हरपल लड़ जाना । ऐ खुदा ! तू क्यों भूल गया मेरी जिंदगी को संवारना । क्या खता थी मेरी, जो तू भूल गया मुझे पुकारना । तेरी इस दुनिया में अब और नही होता इंसान बन पाना । खुशियों की तलाश थी, मिला हरपल दर्द का ही तराना । माना कि दर्द और खुशियां हैं जिंदगी का फसाना । फिर क्यूं सफर खुशियों का शुरू होते ही ख़त्म हो जाना । तू फैसला कर दे कुछ, अब मुनासिब नही ये जहर सोख पाना । #life #pain #world #