चला आज फिर गंगा के तीरे चलल जाए ई रफ्तार छोड़ा तनि धीरे चलल जाए चला फिर से बचपन के डुबकी लगाई पौड़ी पे पउड़े क अंदाज़ भाई तनि सम्भला ऊहाँ गहिर गंगा माई देखा मत फिसले ओहरियें हौ काई बहुत हो गयल देखा तबियत न बिगड़े तनि अउर कहके फिर घंटो न निकले नाहीं अब ओतना उमर ई समाही ई पकड़ा अंगोछा अउर ज़ल्दी से पोछा बदला ई कपड़ा और माथे तिलक दा रुपइया निकाला चला संकलप ला देखा त छोटका सर्राटे भागत हौ देखते-देखते ई सूरज चढ़त हौ माई के मंदिर में घंटा बजत हौ सबेरे सबेरे मगन होके भाई छाने जलेबी छगन हलुवाई चाय क चौपाल बगले मलाई अउर चर्चा चुनावी चलल बा ए भाई केकर कि एदकी लहर बा ए भाई नेतवन के टोपी अउर नेतवन क कुर्ता लगत हौ फिर देश जेबवे में जाई बचावें महादेव अउर गंगा माई चला चलके खायल जाए दु-दु कचौड़ी फिर शुरू होई वही भागा दौड़ी भला भैल नसीब ई बाबा क नगरी मशाने क मस्ती अउर गंगा क पौड़ी #lovequote @ loving memory