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उम्मीदों की रोशनी धुंधली पड़ रही उम्मीदों को अचा

उम्मीदों की रोशनी


धुंधली पड़ रही उम्मीदों को
अचानक रोशन किया तुमने
तुम बिन जिंदगी की नमी
 नम करती रही जिंदगी को
सुनकर आने की खबर तेरी 
अचानक रोशन हो उठी आंखें 
मेरे मन में जले उम्मीदों के दिए 
रोशन किये रहना मेरे ख्बाबों को
मेरे साथ साथ  रहकर 
एहसास होता है
 तुमको भी पसंद है साथ मेरा 
तभी दोनों के साथ से 
रोशन रहता है संसार मेरा ।

जया शर्मा प्रियंवदा

©आगाज़
  #रोशनी  Niaz (Harf) aditi the writer