Nojoto: Largest Storytelling Platform

अपने जब पराये हो जाते हैं, जब अपने हो जाएं पराये ह

अपने जब पराये हो जाते हैं, जब अपने हो जाएं पराये हम फिर किससे प्रीत लगाएं।
यों अपनी लिखी शब्द रचना को फिर हम किसे सुनाएं।।
स्वप्नों के चिरपरिचित जग में भ्रम मुझको हो जाता है।
जो अपने दिल का हो दुश्मन उसको कैसे गले लगाएं।।
।।©नरेन्द्र कुमार।। #अपने-पराये
अपने जब पराये हो जाते हैं, जब अपने हो जाएं पराये हम फिर किससे प्रीत लगाएं।
यों अपनी लिखी शब्द रचना को फिर हम किसे सुनाएं।।
स्वप्नों के चिरपरिचित जग में भ्रम मुझको हो जाता है।
जो अपने दिल का हो दुश्मन उसको कैसे गले लगाएं।।
।।©नरेन्द्र कुमार।। #अपने-पराये

#अपने-पराये