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कुंडलियां छंद: जीवन के  अनमोल  क्षण जीवन के  अनमो

कुंडलियां छंद: जीवन के  अनमोल  क्षण

जीवन के  अनमोल  क्षण, कटुता  में मत काट।
दुर्भावों  की  खाइयां, मिल–जुल  कर ले पाट॥
मिल–जुल  कर ले पाट, मिटाकर  खार शत्रुता।
बढ़े   प्रेम   विश्वास,  जहाँ  हो  मान – मित्रता॥
कह दिनेश कविराय, सभी का हो निश्छल मन।
हटे  हृदय  से  मैल,   बने   तब   सुंदर  जीवन॥

©दिनेश कुशभुवनपुरी
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