महफ़िल ज़िक्र शोर-ए-अदब से किया कीजिए जनाब, हम ख़्वाबों की हक़ीक़त को लबों से लौटा देते है..!! खैफियत की हिनायतें भी फीकी सी हो गई, ज्यों ही हम ख़ाली बोतलों से ज़ख्म-ए-दिल बता देते..!! ख़िलाफ़ तो बेहिसाब होगा जमाना मेरे हिमांश, मेरी फितरत मेरे अंदाज से बेहद फीकी है, ओरो से क्या पूछते हो साहिब हम ही बता देते है..!! - हिमांश #महफ़िल में अदब से किया कीजिए साहिब...