चाँद का सिघाँर था, जिस रात का मुजको ईंतजार था । गुलाबो सि महेकी थी, मेहंदी उसके हात लगी थी। फरक इतना था, दुल्हन थी वह दुल्हा कोई और था। चांदनी रात में चाँद घटता जारा था, मेरा हात उसके हात से चुटता जारा था #चाँद