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सुहाना मौसम था, खिलखिलाती धूप थीं। पाठशाला में ख़ि

सुहाना मौसम था, खिलखिलाती धूप थीं।
 पाठशाला में ख़िलखिलाती  धूप  सा चेहरा था।
 कमल सा मुख था।
 सुरजमुखी सा मुस्कराहट थीं।
 मीठी मिर्ची सा बोल  थे।
आंखों का नज़राना हो ना पाया।
समाने अध्यापक थे, पीछे हम थे।
© Shubham Pal #palbro#love#poetry #poem#shyari#nojo
सुहाना मौसम था, खिलखिलाती धूप थीं।
 पाठशाला में ख़िलखिलाती  धूप  सा चेहरा था।
 कमल सा मुख था।
 सुरजमुखी सा मुस्कराहट थीं।
 मीठी मिर्ची सा बोल  थे।
आंखों का नज़राना हो ना पाया।
समाने अध्यापक थे, पीछे हम थे।
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shubhampal4012

Shubham Pal

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