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अपने-पराये वक्त ने थोड़ा करवट क्या लिया अपने हो

अपने-पराये 
वक्त ने  थोड़ा करवट क्या लिया
अपने हो गयें पराये
रौशनी में जो खुद के सायें साथ रहें
अँधेरे में वो भी छोड़ गयें
ठोकर लगीं तो कौन उठाये
यहाँ तो अपने हो गयें पराये
बिन झरोखे बंद कमरोंं में रौशनी कैसे आए
बिन अपनों के जिदंगी शमशान बन जाए 
उन रिश्तों का बोझ क्यों लिए चले
जो वक्त देख पास आयें #apneparaye
अपने-पराये 
वक्त ने  थोड़ा करवट क्या लिया
अपने हो गयें पराये
रौशनी में जो खुद के सायें साथ रहें
अँधेरे में वो भी छोड़ गयें
ठोकर लगीं तो कौन उठाये
यहाँ तो अपने हो गयें पराये
बिन झरोखे बंद कमरोंं में रौशनी कैसे आए
बिन अपनों के जिदंगी शमशान बन जाए 
उन रिश्तों का बोझ क्यों लिए चले
जो वक्त देख पास आयें #apneparaye