" वक़्त हिसाब मांगता है" की थीं जो कभी तुम पे, दिल खोल मेहरबानियां। बरसीं थी इनायतों की, तुम पे जो कदरदानियां। क्यों महफिलों के दौर में ,करते रहे नादानियां। नाकाम मोहब्बत में ,टूटे हुए दिल का, क्यों हश्र हुआ ऐसा कभी कभी" वक़्त हिसाब मांगता है"। ©Anuj Ray #वक़्त हिसाब मांगता है"