भोगी को भोग चाहिए , कामी को संभोग। जो लांघी दोनों की सीमा, होवे शताधिक रोग। प्रकृति प्रदत्त मूल औषधि, का करे सदा उपयोग। भगें भयंकर रोग बीमारी, नित्य रहे नीरोग। बीमारी न पैदा होतीं, जो करो प्रातः नित योग। कभी न देखो वैद्य वदन को, करो प्रातः नित योग । #internationalyogdivas