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भोगी को भोग चाहिए , कामी को संभोग। जो लांघी दोनों

भोगी को भोग चाहिए ,
कामी को संभोग।
जो लांघी दोनों की सीमा,
होवे शताधिक रोग।
प्रकृति प्रदत्त मूल औषधि,
का करे सदा उपयोग।
 भगें भयंकर रोग बीमारी,
नित्य रहे नीरोग।
बीमारी न पैदा होतीं,
जो करो प्रातः नित योग।
कभी न देखो वैद्य वदन को,
करो प्रातः नित योग । #internationalyogdivas
भोगी को भोग चाहिए ,
कामी को संभोग।
जो लांघी दोनों की सीमा,
होवे शताधिक रोग।
प्रकृति प्रदत्त मूल औषधि,
का करे सदा उपयोग।
 भगें भयंकर रोग बीमारी,
नित्य रहे नीरोग।
बीमारी न पैदा होतीं,
जो करो प्रातः नित योग।
कभी न देखो वैद्य वदन को,
करो प्रातः नित योग । #internationalyogdivas