ग़ुलामी की दास्तां, कल आज और कल... ईस्ट इंडिया कम्पनी की बात हो गयी पुरानी, फिर दोहराई जा रही है गुलामी की कहानी ! इसबार खून खराबे से नहीं, सत्ता में सेंध से ही, अपने हाथों परोस दी, देश की हर चीज़ सुहानी l! राजाओं के राज में, राजा बहलाये जाते थे ! जुए सट्टे खिलाते, महफिलें भी सजवाते थे !! अब तो इनका राजा खुद जन जन को बहला रहा ! शीश नवा के इनके सारे, हुकूम बजा इतरा रहा !! जनता की रक़म घरों से निकलवा, बैंकों में पहुँचा दी ! बैंकों की जमा कर्ज़ स्वरुप, चहेतों को पकड़ा दी !! कर्ज़ वसूल किया नहीं, कर्ज़ माफी दिलवा दी ! ऐसी लूट इतिहास में कहीं आज तक दिखी नहीं !! कर्ज़ दिया,नवरत्न भी औने-पौने दाम दे दिये परोस के ! सरकारी संस्थानों ने निवेश किया हाथ जोड़ के !! हिसाब हेराफेरी से मुनाफाखोरी दसियों लाख करोड़ की ! ख़बरें रही गाय-हिजाब, आपसी सौहार्द तोड़ मरोड़ की !! राजनीति देश की विदेश से ही नियंत्रित है ! भारत जोड़ों की सफलता भी अप्रत्याशित है !! विदेश ने सत्ता परिवर्तन का दे दिया इशारा ! लुटी पिटी अर्थव्यवस्था से कर लेना है किनारा !! आगे के सारे दोष नई सत्ता के सर होंगे ! हालात इस कदर बिगड़े, किसी हाल नहीं संभलेंगे !! खजाने खाली, विदेशी कर्ज़ भी सौ लाख करोड़ पार ! राम का नाम ले, खूब मचाया जनजीवन में हाहाकार !! हे राम... - आवेश हिंदुस्तानी 5.2.2023 ©Ashok Mangal #JanMannKiBaat #AaveshVaani #Freedom #gulami