प्रेम को शब्द की परिसीमा मिली देह को इश्क़ ऐ अनुभूति होने लगी पहले नजरे मिली फिर दिल मिले दो देह एक जान होने लगी फिर मुलाकातों के बहाने मिले कुछ हम मिले कुछ तुम मिले कुछ सपनो में तुम हमारे होने लगे कुछ यादे तुम्हारी होने लगी कुछ तुम मिले कुछ हम मिले