मौत ने घेरा कोरे कागज को भरते भरते, अब वह कहीं हार गया । जीवन की कठिनाई से, उसका पैर डग- मगा गया । तितली कि पंखो से , जब जीवन को रंगने लगा । दुनिया वालो ने, उसका मजाक बना दिया। उसका मजाक बना दिया। हिम्मत तब भी ना टुटे थे, उसके बाजुओ तब भी दम था । टुटा तो वह तब से, जब अपनो ने साथ छोड़ा था। फिर धिरे धिरे उसे मौत ने भी घेर लिया था । मोत ने भी घेर....। चैन की निन्द से, अब वह कही सो गया । सपनो से भी अब कही दूर हो चला। कोरे कागज को भरते - भरते , अब वह कहीं हार गया।। साबिया द्वारा #InspireThroughWriting मौत ने घेरा