"कहने दो मुझको" जो कहना है कहने दो मुझको मूक रही लम्बे समय तक अब मन को खोलने दो मुझको चले गये छोड़ जिस तिराहे पर कभी ग़ौर किया उस बन्द राह पर जहाँ पहुंच लौटना था मुश्किल जो समय बिता चुकी संग तुम्हारे उसे भूलना नहीं था आसां बिल्कुल सोचा लौटोगे ज़ल्दी ही फिर तुम मान लोगे हाँ तब ग़लत थे तुम फिर से संग होंगे एक-दूजे के हम अब लौट तो आये हो दोबारा तुम पर जानते हो देर कर चुके हो तुम खड़ी हूँ उसी राह पर चुपचाप मैं भूली-बिसरी यादों में जी रही हूँ मैं पर नहीं अब तुम्हारे इंतज़ार में मैं खुशी हूँ या दुःखी हूँ नही जानती मैं पर अब नहीं चाहती हूँ फिर से में वही तुम्हारा दो पल का साथ मैं एवज़ में आँसुओं का सैलाब में...! मुनेश शर्मा मेरी✍️🌈 22 कब तक सहेंगे ग़म हम सहेंगे... #कहनेदो #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi