-:गीत:- तुम सज कर हुईं चांद सी चांदनी जुगनुओं की तरह हम तड़पते रहे शाम को आओगी या सुबह आओगी उम्र बड़ती रही दिन भी कटते रहे हो ब्रहद पूर्णिमा कुछ भी आशा नहीं रात के सब मुसाफ़िर भटकते रहे मौन ने मौन को सुन लिया इस तरह वो भी कहते रहे हम समझते रहे नभ,गगन,नील,अम्बर की चादर तले वो जगाते रहे हम भी जगते रहे! #yqbaba #yqdidi #yqhindi #yqdada #yqlove #yqurdu #ekrajhu #गीत