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बेनाम रिश्ता है ये, बेनाम इसको रहने दो, ग़र नाम दे

बेनाम रिश्ता है ये, बेनाम इसको रहने दो,
ग़र नाम दे दिया तो सवाल ख़ूब उठेंगे।

पहचान तुम ये मेरी, ग़ुमनाम रहने दो अब,
महफ़िल में आ गई तो बवाल ख़ूब उठेंगे।

तोहमत तमाम लगाई, सर आँखों पे ली मैंने,
आँचल हुआ है मैला, दुश्मन झूम उठेंगे।

तुम थोड़ा दूर ही रहना, मुश्किल में मैं घिरी हूँ,
जब ख़ुशनुमा हो मौसम, तब तुमसे हम मिलेंगे।

क्या समझे कोई मुझको? नासूत ने कब ही समझा?
यारी है अब क़लम से, पन्नों से दुख कहेंगे।

आज़मा लो सब्र मेरा, मैं टूटती नहीं हूँ,
खंज़र से ना मरूं मैं, अब हर्फ़ ही जाँ लेंगे। तोहमत - इल्ज़ाम
नासूत - मानव प्रकृति 


♥️ Challenge-712 #collabwithकोराकाग़ज़ 

♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :)
बेनाम रिश्ता है ये, बेनाम इसको रहने दो,
ग़र नाम दे दिया तो सवाल ख़ूब उठेंगे।

पहचान तुम ये मेरी, ग़ुमनाम रहने दो अब,
महफ़िल में आ गई तो बवाल ख़ूब उठेंगे।

तोहमत तमाम लगाई, सर आँखों पे ली मैंने,
आँचल हुआ है मैला, दुश्मन झूम उठेंगे।

तुम थोड़ा दूर ही रहना, मुश्किल में मैं घिरी हूँ,
जब ख़ुशनुमा हो मौसम, तब तुमसे हम मिलेंगे।

क्या समझे कोई मुझको? नासूत ने कब ही समझा?
यारी है अब क़लम से, पन्नों से दुख कहेंगे।

आज़मा लो सब्र मेरा, मैं टूटती नहीं हूँ,
खंज़र से ना मरूं मैं, अब हर्फ़ ही जाँ लेंगे। तोहमत - इल्ज़ाम
नासूत - मानव प्रकृति 


♥️ Challenge-712 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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nazarbiswas3269

Nazar Biswas

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