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मेरी आत्मा प्रस्तुत है, ​किंतु मेरे संमुख आने से प

मेरी आत्मा प्रस्तुत है,
​किंतु मेरे संमुख आने से पूर्व,
​तुम जाओ,
​और..जाकर,
​पहले ही,
सिद्धार्थ से बुद्ध बन जाओ,
​सत्य की खोज करो,
​बोध वृक्ष की छाया में,
बोधज्ञान पाकर,
​बोधिसत्व कहलाओ,
​अपने शिष्यों को जीवन दीक्षा दो,
निष्ठुर ​अंगुलिमाल का,
​हृदय परिवर्तन कर,
उसे सत्य सन्मार्ग दो, #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे

#आत्ममिलन

मेरी आत्मा प्रस्तुत है,
​किंतु मेरे संमुख आने से पूर्व,
​तुम जाओ,
​और..जाकर,
मेरी आत्मा प्रस्तुत है,
​किंतु मेरे संमुख आने से पूर्व,
​तुम जाओ,
​और..जाकर,
​पहले ही,
सिद्धार्थ से बुद्ध बन जाओ,
​सत्य की खोज करो,
​बोध वृक्ष की छाया में,
बोधज्ञान पाकर,
​बोधिसत्व कहलाओ,
​अपने शिष्यों को जीवन दीक्षा दो,
निष्ठुर ​अंगुलिमाल का,
​हृदय परिवर्तन कर,
उसे सत्य सन्मार्ग दो, #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे

#आत्ममिलन

मेरी आत्मा प्रस्तुत है,
​किंतु मेरे संमुख आने से पूर्व,
​तुम जाओ,
​और..जाकर,
akalfaaz9449

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