आज फिर हवा चली, और ये घटा चली, सरसों की महकती ये बाद ए सबा चली। ज़मीन को सवांरती चहकती फ़िज़ा चली। ये ख़ुश्बू बिखेरती तू कौन दिलरुबा चली। जहान को सँवारकर रुक जा! कहाँ चली। Aaj fir #yqbaba #yqdidi #yqtales #yqquotes #yqloveshyari