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लोक कलाएं,लोक गीत, लोकभाषा, लोकसंगीत ही आपके सबसे

लोक कलाएं,लोक गीत, लोकभाषा, लोकसंगीत ही आपके सबसे समीप हैं आप इनसे बेहतर आनंद दुनिया में कहीं नहीं ले पाएंगे। लेकिन आप यही नहीं मानते, क्योंकि आपको स्वयं से दूर जाने की आदत है सुख को छोड़कर,सुख की तलाश ही मनुष्य की मूर्खता है।

©SUBE SINGH SUJAN #Lok #लोकतंत्र #संस्कृति #public #yqdidi #yqbaba #Hindi #poem 

लोक कलाएं,लोक गीत, लोकभाषा, लोकसंगीत ही आपके सबसे समीप हैं आप इनसे बेहतर आनंद दुनिया में कहीं नहीं ले पाएंगे। लेकिन आप यही नहीं मानते, क्योंकि आपको स्वयं से दूर जाने की आदत है सुख को छोड़कर,सुख की तलाश ही मनुष्य की मूर्खता है।
#AloneInCity
लोक कलाएं,लोक गीत, लोकभाषा, लोकसंगीत ही आपके सबसे समीप हैं आप इनसे बेहतर आनंद दुनिया में कहीं नहीं ले पाएंगे। लेकिन आप यही नहीं मानते, क्योंकि आपको स्वयं से दूर जाने की आदत है सुख को छोड़कर,सुख की तलाश ही मनुष्य की मूर्खता है।

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लोक कलाएं,लोक गीत, लोकभाषा, लोकसंगीत ही आपके सबसे समीप हैं आप इनसे बेहतर आनंद दुनिया में कहीं नहीं ले पाएंगे। लेकिन आप यही नहीं मानते, क्योंकि आपको स्वयं से दूर जाने की आदत है सुख को छोड़कर,सुख की तलाश ही मनुष्य की मूर्खता है।
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