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""मोहब्बत को नज़र लगना भी तौहीन है ए काफ़िर। तौहीन-

""मोहब्बत को नज़र लगना भी तौहीन है ए काफ़िर।

तौहीन-ए-मोहब्बत कोई मोहब्बत नहीं होती।।

हिफ़ाज़त के साये में रख मोहब्बत के ज़ज़्बे को।

ज़माने की नज़र ही काफ़ी है, तौहीन-ए-मोहब्बत में।।""


           
                          -Kshitij Kumar Sharma तौहीन ना कर........
""मोहब्बत को नज़र लगना भी तौहीन है ए काफ़िर।

तौहीन-ए-मोहब्बत कोई मोहब्बत नहीं होती।।

हिफ़ाज़त के साये में रख मोहब्बत के ज़ज़्बे को।

ज़माने की नज़र ही काफ़ी है, तौहीन-ए-मोहब्बत में।।""


           
                          -Kshitij Kumar Sharma तौहीन ना कर........

तौहीन ना कर........