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#OpenPoetry हुस्न जो बेच आये तुम , वो हमको याद आत

#OpenPoetry हुस्न जो बेच आये तुम ,  वो हमको याद आता है।

तेरी गगरी का पानी अब , हमें बिलकुल  न भाता है।

वो ख़त सारे किये है राख , जिन पर नाम तेरा था।

न जाने क्यों - शहर तेरा , हमे फिर भी लुभाता है।

 
"  विकास शर्मा  " #nojoto_तेरा_शहर #nojotoग्वालियर...!
#OpenPoetry हुस्न जो बेच आये तुम ,  वो हमको याद आता है।

तेरी गगरी का पानी अब , हमें बिलकुल  न भाता है।

वो ख़त सारे किये है राख , जिन पर नाम तेरा था।

न जाने क्यों - शहर तेरा , हमे फिर भी लुभाता है।

 
"  विकास शर्मा  " #nojoto_तेरा_शहर #nojotoग्वालियर...!