स्वामी विवेकानन्द होने का अर्थ औसत से अक्षत की ओर रहित अतरिक्त आशीर्वाद के सटीक मार्गदर्शन पर जिसका आविर्भाव ब्रह्म संतुष्टि है जो रामकृष्ण परमहंस का साध्य व्यक्तित्व था। आधुनिक वेदांत की आत्मा महान कलयुग में प्रकृति, चाहे वो, नैसर्गिक हो या अनैसर्गिक महान कलयुग में प्रवृति, चाहे वो अध्यवसाय हो या तदनुकूल हो अधीन हो, शुद्धता ढूंढता है। (कृपया, अनुशीर्षक अवश्य पढ़ें) प्रिय रचनाकारों, इनकी रचनाओं में से कुछ रचना के प्रभाव से मेरा भी निर्माण हुआ है।विशेष रूप से, शिक्षा और भारतीय व्याख्यान जैसे पुस्तकों से। उनका वेदांत को अक्षरसः लेना, तार्किक होना, अन्धविश्वास विरुद्ध होना और इसलिए भी सफल गुरु प्राप्त करना एक महान कलयुगी उदाहरण है।इस आधार पर मैंने उपरोक्त कविता लिखने का भाव भरा प्रयास किया है। युवा दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!! प्रेम!