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कसूर तो था ही इन निगाहों का जो चुपके से दीदार कर ब

कसूर तो था ही इन निगाहों का
जो चुपके से दीदार कर बैठा
हमने तो खामोश रहने की ठानी थी
पर बेवफा ये ज़ुबान इज़हार कर बैठा

©Vikram Karmkar
  prapose day

prapose day #Shayari

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